त्रिपुरा में करीब 30 साल से सक्रिय उग्रवादी गुट नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी-एसडी) के 88 सदस्य 13 अगस्त को सरेंडर करेंगे। इसके लिए शनिवार को एनएलएफटी, केंद्र और त्रिपुरा सरकार के बीच समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इस उग्रवादी संगठन ने 2005 से 2015 के बीच 10 साल में 317 हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया। इनमें 28 सुरक्षाबलों समेत 90 लोगों की मौत हुई।
यह उग्रवादी संगठन 1989 से सक्रिय है। एनएलएफटी अंतरराष्ट्रीय सीमापार स्थित अपने शिविरों से हिंसा फैलाने जैसी गतिविधियों में शामिल रहा है। सरकार ने 1997 में इस संगठन पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत प्रतिबंध लगाया था। एनएलएफटी के साथ 2015 में शांति वार्ता शुरू हुई। 2016 के बाद उसके उग्रवादियों ने किसी हिंसक कार्रवाई को अंजाम नहीं दिया।
एनएलएफटी के प्रतिनिधियों ने शाह से मुलाकात की
साबिर कुमार देबबर्मा के नेतृत्व में एनएलएफटी ने सरकार के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके बाद गुट के प्रतिनिधियों ने दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। सरेंडर करने वालों को गृह मंत्रालय की ओर से आत्मसमर्पण और पुनर्वास योजना का लाभ दिया जाएगा। त्रिपुरा राज्य सरकार आवास, भर्ती और शिक्षा जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराने में मदद करेगी। मोदी सरकार त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों के आर्थिक विकास के संबंध में राज्य सरकार के प्रस्तावों पर भी विचार करेगी।